
Maternal instincts are identical throughout the animal kingdom. Look at this olive backed sunbird feed a young one which is almost as big as the mother. The mother appears to have shed weight with the rigors of rearing it’s young one. My eternal respect for and gratitude to all mothers who are the only ones amongst humans to always show unconditional love.
शफ़क़त — दया, करुणा, अनुकंपा
बेपनाह — बिना किसी सीमा का, असीम
19 replies on “बस यूँही………”
अप्रतिम छायाचित्र….. आणि छायाचित्र काढणाऱ्या कलाकाराचे खूप कौतुक….
Indeed true….. आईच्या प्रेमासारखे निर्मळ आणि निर्व्याज प्रेम जगात कोणीही करू शकत नाही….
couplet चे शब्दं आणि त्याखालील लिहिलेल्या ओळी फारच सुंदर…..
हे केळफूल आहे का छायाचित्रांमध्ये ज्यावर पक्षी बसले आहेत आणि आतील कळ्या खात आहेत??
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Indeed.
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Lovely pic ..MAA E MAA BIJA BADHA VAN-VAGDA NA VA…( guj kahavat…
Maa to maa hoti he baki sub jungle ki vo hava jaise hote he jiska koi arth nahi koi upyog bhi nahi…)
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Very true Shaileshbhai
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सुंदर आणि ह्रदय स्पर्शी।
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Thanks Avi
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Good morning Anirudhhaji absolutely even in the animal kingdom a mother’s love knows no bounds
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Indeed
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किती छान
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धन्यवाद, केतकी
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Truly , an epitome of beauty
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Indeed. Of caring unconditionally
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मां….
तेरे लिए मैं और क्या लिखूं?
शब्द नही पूरी किताब है तू….
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वाह वाह दक्षय
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किसका शुक्रिया अदा करु…..?
वो नौ महीने कोख में बिताए पल का या खाई हुई मेरी लातो का,
वो प्रसव पीड़ा सहने का या फिर मेरे आने की खुशी के आंसू का,
वो बिन सोए गुजारी रातों का या मेरे भिगोए बिस्तर पे बिताए पल का,
वो तेरे पिलाए दूध का या फिर प्यार से सहलाए हाथो का,
वो उंगली थाम चलना शिखने का या फिर गिरते देख आंसू बहाने का,
वो पहला शब्द सुनने की व्याकुलता का या फिर मुझे सुनाए गानों का,
वो पहला वर्ण लिखवाने का या फिर जिंदगीभर के गुरु बनने का,
वो मुझे खेलते देख मुस्कुराने का या फिर मेरे दोस्तो पे लुटाए प्यार का,
वो हाथ थामे स्कूल ले जाने का या फिर लौट के ane के इंतजार का,
वो गर्म खाना खिलाने का या फिर और थोड़ा खा ले में समाए प्यार का,
वो रात सुनाई कहानी का या फिर सर सहलाते हाथो का,
वो खुद की भुलाई बीमारी का या फिर अविचल सपोर्ट सिस्टम का,
मेरी छोटी सी सफलता मनाने का या और पाने का जोश बढ़ाने का,
मेरी हर निष्फलता भुलाने का या फिर निश्वार्थ तेरे साथ का,
वो डैडी की डांट से बचाने का या गलती पे खुद कान खींचने का,
वो मुझसे पहले ना सोने का या फिर मेरे लिए सुबह जल्दी उठने का,
वो सफल व्यक्ति बनाने का या फिर “आ गया तू* से मेरे स्वागत का,
और बता कैसे चुकाऊं तेरे ये अनगिनत निश्वर्थ एहसानो का….
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क्या बात है, दक्षय। बहुत खूब
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Thanks for your motivation..
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Very nice picture…. Very nice lines….
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Thanks Anand
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